१. संज्ञा की परिभाषा
संज्ञा वह शब्द है, जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण, भाव या किसी भी वस्तु के नाम का बोध हो।
अर्थात — किसी भी चीज़ को पहचानने या पुकारने के लिए जो नाम दिया जाता है, उसे संज्ञा कहते हैं।
उदाहरण: राम, दिल्ली, किताब, ईमानदारी, नदी, आनंद इत्यादि।
२. संज्ञा के मुख्य भेद
(१) व्यक्तिवाचक संज्ञा
वह संज्ञा, जिससे किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध होता है।
यह हमेशा किसी एक विशेष नाम को दर्शाती है।
उदाहरण:
राम (विशेष व्यक्ति)
गंगा (विशेष नदी)
दिल्ली (विशेष स्थान)
ताजमहल (विशेष इमारत)
(२) जातिवाचक संज्ञा
वह संज्ञा, जिससे किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान के समूह या जाति का बोध हो, न कि किसी विशेष का। यह किसी प्रकार की श्रेणी बताती है।
उदाहरण:
लड़का (किसी भी लड़के के लिए)
नदी (किसी भी नदी के लिए)
शहर (किसी भी शहर के लिए)
पुस्तक (किसी भी किताब के लिए)
(३) भाववाचक संज्ञा
वह संज्ञा, जिससे किसी गुण, दशा या भाव का बोध हो। यह रूप में दिखाई नहीं देती, केवल अनुभव की जा सकती है।
उदाहरण:
ईमानदारी (गुण)
बचपन (अवस्था)
खुशी (भाव)
दुःख (भाव)
(४) द्रव्यवाचक संज्ञा
वह संज्ञा, जिससे किसी पदार्थ या द्रव्य का बोध हो।
यह ऐसी चीज़ें होती हैं जिन्हें तौला, नापा या गिना जा सकता है, परंतु इन्हें सामान्यतः नाम से नहीं गिना जाता।
उदाहरण:
सोना
पानी
चावल
दूध
(५) समूहवाचक संज्ञा
वह संज्ञा, जिससे किसी वस्तु या व्यक्तियों के समूह का बोध हो।
उदाहरण:
झुंड (पशुओं का समूह)
सेना (सैनिकों का समूह)
वर्ग (छात्रों का समूह)
भीड़ (लोगों का समूह)
संक्षिप्त सारणी:
भेद अर्थ उदाहरण
व्यक्तिवाचक विशेष नाम राम, दिल्ली, गंगा
जातिवाचक जाति/श्रेणी का नाम लड़का, नदी, पुस्तक
भाववाचक गुण/भाव/अवस्था ईमानदारी, बचपन, खुशी
द्रव्यवाचक पदार्थ का नाम सोना, पानी, दूध
समूहवाचक समूह का नाम सेना, वर्ग, भीड़